शंखपुष्पी के फायदे बताएं क्या है इसके सेवन से हमे क्या लाभ होता है इसके साथ ही बताइये शंखपुष्पी जड़ी बूटी के बारे में जानकारी किन रोगों में ये क्या फायदा देती है.
शंखपुष्पी मस्तिष्क को शक्ति देने वाली सबसे तेज गुणकारी वनस्तपति होती है. आज के समय में इसका बड़े पैमाने पर सेवन किया जा रहा है, स्टूडेंट्स की पढाई में, दिमागी कामों में आदि जो लोग मस्तिष्क से ज्यादा काम लेते है उनके लिए इसका सेवन बेहद लाभदायक होता है. आइये जानते शंखपुष्पी खाने के फायदे के बारे में.
आयुर्वेद में शंखपुष्पी के गुण क्या बताये गए है
आयुर्वेद के अनुसार शंखपुष्पी मस्तिष्क रोगों के लिए बहुत ही गुणकारी औषधि है. भाव प्रकाश चिकित्सा ग्रन्थ में भावमिश्र शंखपुष्पी को उष्णवीर्य वर्णित करते है.
शंखपुष्पी सिर, मेध्य, वृष्य, (कामोदीपक) बल्य, दीपन के साथ साथ मानसिक रोग उन्माद, अपस्मार, अनिद्रा भरम और विषशामक होती है.
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शंखपुष्पी के फायदे बताएं
शंखपुष्पी खासकर मानसिक यानी मस्तिष्क से जुडी समस्याओ में फायदेमंद होती है. यह मानसिक तनाव को ख़त्म करती है, समरशक्ति को बढ़ाती है. मस्तिष्क की कमजोरी, चोट, बार बार भूलना आदि मस्तिष्क से जुड़े सभी रोगों में यह बहुत गुणकारी होती है. चलिए आगे जानते रोजाना शंखपुष्पी खाने पर होने वाले फायदों के बारे में.
3 माशे छोटी इलाइची, 5 माशे काली मिर्च और शंखपुष्पी का 6 माशे चूर्ण कूट पीसकर, उसमे मिश्री मिलाकर, एक तोले मात्रा में दूध के साथ सेवन करने से तीव्र गति से स्मरणशक्ति विकस्ति होती है.
शंखपुष्पी, ब्राह्मी और आंवले को बराबर मात्रा में लेकर कूट पीसकर बारी चूर्ण बकर रख लें. इस चूर्ण को 3 माशे की मात्रा में पानी के साथ सेवन करने से मस्तिष्क के सभी विकार ख़त्म हो जाते है, गहरी नींद आने लगती है.
शंखपुष्पी का पानक सेवन करने से ग्रीष्म ऋतू के प्रकोप से पैदा हुए दाह और संताप ख़त्म होते है.
शंखपुष्पी का ताज़ा रस बिस ग्राम की मात्रा में सुबह और शाम को मिश्री मिलाकर सेवन करने से नशा और प्रलाप ख़त्म होते है. अनिद्रा की समस्या भी ख़त्म होती है.
बुखार जब तेज आरहा हो तो ऐसे में शंखपुष्पी का फांट 30 ग्राम की मात्रा में पिलाने से बहुत ही लाभ होता है. रोगी को गहरी नींद आती है.
शंखपुष्पी के पत्तो का 20 ग्राम रस 7-8 ग्राम जीरे को पीसकर दूध के साथ बुखार में रोगी को पिलाने से बहुत ही फायदा होता है.
शंखपुष्पी का 20 ग्राम रस सुबह शाम मिश्री मिलाकर पिने से उन्माद, अनिद्रा, हिस्टीरिया और अपस्मार रोगियों को बहुत ही लाभ होता है.
शंखपुष्पी के 20 ग्राम रस में मिश्री मिलाकर पिलाने से कब्ज ख़त्म होती है.
शंखपुष्पी के सूखे पत्तों को चिलम में जलाकर धूम्रपान करने से तेज खांसी और अस्थमा रोगी के श्वास का प्रकोप शांत होता है.
शंखपुष्पी की जड़ को साफ़ करके 10 ग्राम मात्रा में पानी के साथ पीसकर सेवन करने से कब्ज और गुल्म रोग ख़त्म हो जाते है.
तिल के तेल में शंकपुष्पी को जलाकर उस तेल को बालों में लगाने से बाल लम्बे, घने और काले होते है. शंखपुष्पी को पानी में डालकर रखें फिर इस पानी से सुबह उठकर बाल धोने से भी बहुत लाभ होता है.
शंखपुष्पी के कोमल पत्तों को चबाने से स्वरभंग यानी ख़राब गला बिलकुल ठीक हो जाता है, आवाज सही से आने लगती है.
शंखपुष्पी की जड़ को छाया में सुखाकर, कूट पीसकर चूर्ण बनाकर रखें. तीन ग्राम मात्रा में चूर्ण को पानी के साथ सुबह शाम सेवन करने से बवासीर रोग के मस्सो का शोथ और शूल ख़त्म हो जाता है.
उच्च रक्तचाप के रोगी को शंखपुष्पी का फांट 20 ग्राम मात्रा में सुबह और 20 ग्राम शाम को सेवन करने से बहुत ही लाभ होता है.
शंखपुष्पी की जड़ का चूर्ण 2 माशे, हरड़ 2 माशे मिलाकर हलके गर्म पानी के साथ लेने से कब्ज और बवासीर रोग नष्ट होते है.
अजवाइन 2 माशे, सेंधा नमक 1 माशा और शंखपुष्पी का चूर्ण 2 माशे इन तीनो को मिलाकर हलके गर्म पानी के साथ सेवन करने से आमातिसार में उदर में होने वाली ऐंठन मरोड़ नष्ट हो जाती है.
यह थे शंखपुष्पी के उपयोग और शंखपुष्पी के फायदे उम्मीद करते है आपको यह पढ़कर अच्छा लगा होगा.
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