HIV का पूरा नाम Human immunodeficiency virus होता है और aids का full form होता है acquired immunodeficiency syndrome. यह बहुत ही जानलेवा वायरस होता है. HIV वायरस हमारी रोगप्रतिरोधक क्षमता को नष्ट करता है, वाइट ब्लड सेल को भी यह ख़त्म करता है. उदाहरण के लिए जैसे अगर पुलिस को हटा दिया जाए तो कितना क्राइम बढ़ जाएगा, हर कोई क्राइम करेगा कही भी कुछ भी हो जायेगा, ठीक वैसे ही रोग प्रतिरोधक क्षमता हमारे शरीर की पुलिस है जो की शरीर को इन्फेक्शन दूर रखती है और कीटाणुओं रोगों से लड़कर उन्हें ख़त्म करती है.
लेकिन जब HIV इस रोग प्रतिरोधक क्षमता को ही नष्ट कर देता है तो शरीर में कई नए नए रोग पैदा होने लगते है, सिर्फ एक नहीं कई रोग होते है और रोग प्रतिरोधक क्षमता पहले ही ख़त्म हो चुकी होती है इसलिए इंसान की HIV Aids में मौत ही होती है बचने के चान्सेस बहुत कम होते है.
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HIV वायरस हमारे शरीर से बहार 6 से 12 दिनों तक जिन्दा रह सकता है, इसके अलावा यह तापमान सही मिलने पर ज्यादा दिनों तक भी जिन्दा रह सकता है. अगर धुप की रौशनी इसपर गिरे तो यह बहुत जल्द नष्ट हो जाता है. बाकी छायादार और ठन्डे कम तापमान में यह ज्यादा दिनों तक जिन्दा रह सकता है.
एड्स के रोगी की सुई का उपयोग दुबारा नहीं करना चाहिए, क्योंकि उस सुई में HIV के वायरस होते है जो की दूसरे के शरीर तक आसानी से फेल सकते है. बेहतर होगा सुई व HIV के रोगी के खून के संपर्क में न आये, रोगी की झूठी चीज आदि के सेवन से भी बचे. ऐसा माना जाता है की एड्स होने पर खून में कमी आने लगती है लेकिन ऐसा नहीं है, असल में HIV CD4 Cell को ख़त्म करता है जिससे खून की समस्या पैदा होती है, खून की कमी नहीं होती. खून में यह सेल होते है जो की हमारे शरीर को किसी भी तरह के इन्फेक्शन से लड़कर उसे दूर करते है.
एड्स दिवस कब मनाया जाता है
- एड्स के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए विश्व में अदीस दिवस मनाया जाता है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इसके प्रति जागरूक हो सके और इससे बचने के उपाय करते रहे. 1 December को यह मनाया जाता है. इस दिन समस्त सरकारी कर्मचारी आदि इस दिन अपने कपड़ों पर रेड कलर का AIDS का sign लगाए रखते है और कई जगह पर इसकी जागरूकता के प्रति जानकारियां दी जाती है.
एड्स होने पर क्या होता है
- एड्स की शुरुआत में बुखार आने लगता है, शरीर में लगातार बुखार बना रहता है. जैसा की हमने ऊपर बताया की HIV रोग प्रतिरोधक क्षमता को नष्ट कर देता है, इसी वजह से शरीर बार बार आने वाले बुखार को रोक नहीं पाता जिससे वह लगातार बना रहता है.
- रोग प्रतिरोधक क्षमता के नष्ट होने से शारीरिक थकान भी बढ़ जाती है, ऐसे में एड्स के रोगी को थकन बहुत महसूस होने लगती है. जरा से काम से ही बहुत थकान होती है सांस भर जाती है आदि.
- सर में दर्द होने लगता है, गले में दर्द और समस्या आने लगती है. इसमें कई बार तो सर दर्द लगातार देर रात भी बना रहता है.
- त्वचा पर निशान बनने शुरू हो जाते है, क्योंकि रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है तो इससे शरीर की त्वचा पर कई निशान बनने लगते है.
- तेजी से वजन घटना शुरू हो जाता है, क्योंकि शरीर सही हालत में नहीं रहता तो वजन में तेजी से गिरावट होने लगती है. आप चाहे जितना भोजन करे फिर भी वजन घटता है क्योंकि शरीर की क्षमता बहुत कम होने लगती है. इसलिए वह भोजन में से पोषक तत्व ग्रहण नहीं कर पाता.
- इसके अलावा रात को सोते वक्त शरीर से पसीना आने लगता है, नींद नहीं आती है, अनिद्रा की समस्या होने लगती है. इसके अलावा शरीर में कई अन्य रोग भी होने लगते है. अगर समय पर एड्स से बचाव के लिए इलाज नहीं करवाया जाए तो एड्स के रोगी की मौत पक्की होती है.
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