आइये जानते है मलेरिया, टाइफाइड बुखार में नहाना चाहिए या नहीं, कैसा भी बुखार हो खासकर गर्मियों के दिनों का बुखार, ऐसे में एक तो गर्मी होती है और ऊपर से बुखार तो ऐसे में रोगी बड़ा परेशानी की वजह हो जाता है. वो नाहने का बोले तो उसके माता पिता उसे नाहने भी नहीं देते.
क्योंकि कई लोगों की ऐसी सोच है धारणा है की बुखार में नाहने से ज्यादा तबियत खराब होती है लेकिन वही कुछ रोगी ऐसे भी होते है जो की बुखार में नाह लेते है और उनकी तबियत भी ठीक रहती है.
Bukhar Me Nahna Chahiye Ya Nahi ?
यह आपने भी देखा होगा की जब किसी व्यक्ति को ज्यादा तापमान का बुखार आता है तो डॉक्टर उस व्यक्ति के सिर पर ठंडी पट्टी रखने की सलाह देता है. तो आखिर सच क्या है, बीमारी की अवस्था में नहाना सही होता है या नहीं, चलिए आगे जानते है.
सबसे पहले में बताना चाहूंगा की बीमारी की हालत में नाहना आपके शरीर पर निर्भर करता है. जैसे की अगर आपका शरीर ज्यादा कमजोर है, शरीर की तापमान के बदलने पर उसे सहन करने की क्षमता अच्छी है आदि तो ऐसे में आप बुखार में स्नान कर सकते है. आपको कोई नुकसान नहीं होगा.
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लेकिन कई रोगियों का शरीर बहुत ही कमजोर होता है, उन्हें बार बार बुखार आने, जरा से मौसम में बदलाव आने से सर्दी जुकाम हो जाता है तो ऐसे व्यक्तियों का शरीर बहुत कमजोर होता है. ऐसे में अगर वह बीमारी हालत में नाह ले तो हो सकता है की उसकी तबियत और ज्यादा ख़राब हो जाए.
दूसरी बात : जब भी हमे बुखार आता है तो उस समय हमे मालुम हो जाता है की हमारी तबियत कैसी है, मतलब की जब आप अच्छा महसूस करने लगे की और आपको महसूस हो की आपको जरा भी बुखार नहीं है तो उस समय आप नाह सकते है.
ऐसे समय में ज्यादा ठन्डे पानी से नहीं नाहना चाहिए और ना ही ज्यादा गर्म से. इसके लिए आपको सामान्य तापमान के पानी से नहाना चाहिए जो की न ज्यादा ठंडा हो और न ही गर्म. इसके अलावा ज्यादा देर तक अपने शरीर को पानी में गिला न रखे, जल्दी से नाहकर फटाफट टॉवल से अपने शरीर को रगड़कर पहुँच लें और सारे पानी को साफ़ कर दे.
इस तरह नाहने से आपको कोई परेशानी नहीं होगी और बिलकुल ताज़ा भी महसूस करेंगे. इसके अलावा आप एक सूती कपडे को पानी में गीला कर अपने शरीर को पूछ सकते है, यानी उस कपडे को शरीर के अंगों पर रगड़ते हुए घुमाये तो इससे शरीर का मेल आदि साफ़ हो जायेगा और आपको अच्छा महसूस होगा. ऐसा आप नाहने के बदले में कर सकते है. यह तरीका और भी रिस्क फ्री होता है.
इसके अलावा टाइफाइड जिसे मोतीझरा भी कहते है, इसे हिन्दू धर्म में देवता के रूप में पूजा जाता है. हिन्दू धर्म के अनुसार टाइफाइड यानी मोतीझरा बुखार आने पर व्यक्ति को कई दिनों तक नाहने नहीं दिया जाता. तो इस बार में हम कुछ नहीं कहना चाहेंगे, क्योंकि जब आप किसी बीमारी को देवता के रूप ले लेते है तो उसमे फिर विज्ञानं की बाते करना व्यर्थ हो जाती है. इसलिए टाइफाइड होने पर अगर आपने मोतीझरा का डोरा बाँध रखा है तो फिर आप अपने माता पिता के कहने पर ही नाहये जब वह कहे.
जैसे की कई व्यक्ति कहते है की बुखार में नहीं नहाना चाहिए तो कुछ कहते है नहाना चाहिए तो आप इन दोनों की बातों का ना मान कर डॉक्टर से खुद सलाह ले लें.
वैसे हमने आपको समझा दिया है, आप नाह सकते है लेकिन यह जरुरी है की उस समय आपके शरीर में जरा भी बुखार न हो. अगर आपको बुखार आरहा है और उसी वक्त आप नाह ले तो यह नुकसान करता है. इसलिए बताये गई बातों को ध्यान पर दें.
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