जानिये बवासीर के लिए योग और एक्सरसाइज के बारे में यह 100% प्राकृतिक रूप से आपको लाभ पहुंचाएंगे, इनको आप रोजाना सुबह के समय थोड़ा समय निकाल कर करते रहने से जीवन में आपको कभी भी बवासीर के मस्से नहीं होंगे.
हम यह योग के साथ साथ प्राणायाम व कुछ मुद्रा भी बताएंगे जिनके जरिये आप बड़ी आसानी से बवासीर के मस्से को जड़ से ख़त्म कर सकते हैं. इनको करने से आपको भौतिक व मानसिक दोनों तरह के लाभ होंगे.
यह हम सब जानते हैं की योगासन प्रत्येक रोग में रामबाण की तरह काम करते हैं. अगर हम रोजाना योग करे तो हमे पाइल्स बवासीर, कब्ज, एसिडिटी आदि कई रोग हो ही नहीं सकते, लेकिन यह जानकर भी हम इस विषय में कुछ नहीं करते.
इसी वजह से कई लोग जो की जरा सा भी शारीरिक श्रम नहीं करते, अपने शरीर से पसीना नहीं बहाते उनको कुछ ही समय में कई अन्य रोग घेर लेते हैं. इन रोगों में ज्यादातर बवासीर, मोटापा, कब्ज आदि होते हैं
- पोस्ट पूरा निचे तक पड़ें, इसकी मदद से आप बवासीर जड़ से ख़त्म कर सकते है.
- बवासीर के कई मरीजों के साथ ऐसा होता हैं की वह बवासीर का इलाज तो करवा लेते हैं लेकिन कुछ महीनो या सालों के बाद उन्हें फिर से बवासीर के मस्से हो जाते हैं. इसके पीछे एक कारण होता हैं, और वह हैं अपनी जीवनशैली (lifestyle) को नहीं बदलना. यानी बवासीर मुख्यतः कब्ज के वजह से होता हैं और अगर आप बवासीर का इलाज करवाने के बाद कब्ज को अपने शरीर में बने रहने देंगे तो स्वभातः फिर से आपको बवासीर के मस्से होंगे ही.
- इसलिए बवासीर का परमानेंट ट्रीटमेंट करने के लिए जरुरी हैं की आप कब्ज को शरीर में होने ही न दें. इसके लिए आपको शारीरिक श्रम करना चाहिए, फाइबर वाला भोजन ज्यादा करना चाहिए, सुबह शाम योग करना चाहिए आदि. इन सब को करने से बवासीर तो क्या आपको और कोई दूसरा रोग भी नहीं होगा.
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बवासीर का योग बाबा रामदेव
Bawasir Ke liya Yogasana
Headstand Yoga (बवासीर में शीर्षासन)
- शीर्षासन बवासीर के लिए एक ऐसा योगासन हैं जो की कई शारीरिक बिमारियों को भटकने भी नहीं देता. यह शरीर के स्वास्थ्य के लिए रामबाण योगासन हैं. इसको करने से महिलाओ व पुरुषों के बाल झड़ने की समस्या, कब्ज, अपचन, खून की गति का कम होना, पाचन तंत्र की मजबूती आदि लाभ होते हैं. यह प्रत्येक व्यक्ति को करना चाहिए, खासकर बवासीर के रोगी को तो इसका नियमित अभ्यास करना ही चाहिए.
- अगर आपको खुनी बवासीर हैं तो इसका नियमित अभ्यास जरूर करना चाहिए. बड़ी बवासीर के रोगी को भी इसका अभ्यास करना चाहिए. इसके अभ्यास से बवासीर के मस्सों में दर्द कम होगा व खुनी बवासीर के रोग में खून निकलना बंद हो जायेगा. इसको करना आपको थोड़ा मुश्किल लग रहा होगा, लेकिन खुनी बवासीर और बादी बवासीर की हेमशा के लिए छुट्टी करना है तो यह शीर्षासन योग बवासीर में जरूर करे.
कैसे करे शीर्षासन-
- Duration : शुरुआत में अपनी क्षमता के अनुसार बवासीर में इसे करते रहे, फिर इसको 5-7 मिनट तक कर सकते हैं. नोट : शीर्षासन को पेट खाली होने पर ही करे, भोजन करने के बाद इस योग को बिलकुल न करे. इसके लिए सुबह व शाम का समय सबसे अच्छा हैं, क्योंकि इस समय हमारा पेट खाली होता हैं.
- हमने यहां ऊपर शीर्षासन की steps का फोटो दिया हैं, इस फोटो को देख कर आप आसानी से इस योगासन को कर सकते हैं. सबसे पहले आप किसी दिवार के नजदीक चले जाए वहां अपने सर को निचे झुकाकर अपने दोनों हाथों को सर के निचे कर लें अब धीरे-धीरे अपने पैरों को आहिस्ता-आहिस्ता ऊपर की और उठाये. पैरों को उठाकर दीवाल से टिका दें इससे आपको ज्यादा परेशानी नहीं आएगी.
- बवासीर के लिए योग में शीर्षासन दिखने में बड़ा जटिल हैं लेकिन जब कोई इसे एक बार कर लें तो यह उसके लिए बहुत ही आसान योग बन जाता हैं. बवासीर का रोगी शुरुआत में इसे ज्यादा देर तक नहीं कर पाएंगे. इसलिए जितनी आपकी क्षमता हो उतनी ही देर कर लें. इस योग से शरीर में खून उल्टा बहने लगता हैं. शरीर में खून का उल्टा बहने से शरीर के उन हिस्सों में भी पर्याप्त खून पहुंचने लगता हैं जिनमे यूं सीधे खड़े होने पर नहीं पहुंच पाता हैं. इसीलिए यह योग इतना खास माना जाता हैं. और बवासीर के रोग में भी ऐसे ही होता हैं, मस्सों पर जो दबाव बना हुआ होता हैं वह इस योग में हल्का हो जाता हैं. यह बेहद फायदेमंद बवासीर का योग हैं.
Shoulder Stand – बवासीर में सर्वांगासन
- सर्वांगासन यह शीर्षासन का ही एक अंग हैं, इसमें भी वही फायदे होते हैं जो की शीर्षासन योग में बवासीर के लिए होते हैं. बस फर्क इतना हैं की आप इस योग को शीर्षासन के मुकाबले ज्यादा समय तक कर सकते हैं. बवासीर के रोगियों के लिए यह उतना ही लाभकारी हैं जितना की शीर्षासन. अगर आपको शीर्षासन करने में ज्यादा परेशानी आती हो तो निश्चिन्त बवासीर के रोगी को यह योग जरूर करना चाहिए. और आपको शीर्षासन करने में कोई परेशानी नहीं आती तो भी इस योग को करना चाहिए.
कैसे करे सर्वांगासन
- कमर के बल सीधे लेट जाए, अब अपने दोनों पैरों को ऊपर की और उठाये व अपने दोनों हाथो को कमर के निचे ले जाए. अब धीरे-धीरे अपने पैरों को थोड़ा और ऊपर उठाये व अपने दोनों हाथो से कमर को support दें ताकि वह आपके पैरों के वजन को संभाल सके व शरीर को नियंत्रण में रख सके. जब पैर ऊपर की और बिलकुल सीधे हो जायेंगे तो आपके शरीर का पूरा वजन कंधो व गर्दन पर आजायेगा. इस योग को सामान्य व्यक्ति भी कई देर तक कर सकता हैं. इसको करने में कोई तकलीफ महसूस नहीं होती.
- आप इस योग को दिन में कभी भी कर सकते हैं, बस पेट खाली होना चाहिए. अगर आपने कुछ खाया पिया हैं तो जब तक वह अच्छे से पच न जाए तब तक इस सर्वांगासन को न करे. आप इसे अपने बिस्तर पर भी कर सकते हैं. वैसे बेहतर होगा अगर आप रोजाना सुबह के समय इसका अभ्यास करे तो. बवासीर का रोग ख़त्म करने में बहुत मदद करेगा.
Pavanmukta कब्ज, गैस, पवनमुक्तासन
- बवासीर में पवनमुक्तासन पाचन संस्थान को दुरुस्त करने के लिए सबसे सर्वोत्तम योग हैं. यह कब्ज के रोगियों के लिए तो रामबाण हैं. इसको करने से पेट में मौजूद सभी ख़राब वायु बाहर निकल जाती हैं. जिससे व्यक्ति को अपचन, गैस, कब्ज, भूख न लगना आदि रोगों से छुटकारा मिलता हैं. पवनमुक्तासन को भी सुबह के समय खाली पेट होने पर ही करे. खुनी बवासीर और बादी बवासीर दोनों तरह के बवासीर में यह योगासन बहुत जरुरी है, क्योंकि यह कब्ज और गैस को भी ख़त्म करता है जिससे बवासीर के रोगी को बहुत लाभ मिलता है.
कैसे करे पवनमुक्तासन

- जमीन पर अपनी कमर के बल सीधे लेट जाइये, अब अपने दोनों पैरों को मोड़कर पेट के नजदीक ले आइये. अब अपने दोनों पैरों को पेट से सटा लीजिये व दोनों हाथो से अपने दोनों पैरों को पकड़ लीजिये. अब इस स्थिति में आने के बाद दोनों हाथो के जरिये अपने पैरों को पेट पर दबाये व अपने सर को उठाकर छाती से लगा लें. इस बिच अपने पैरों को जोर से पकड़कर पेट पर दबाये व शरीर के अंदर की सारी हवा को बाहर निकाल दें. इसी स्थिति में कुछ देर तक बने रहिये.
- ऊपर दिए गए फोटो को देखिये उसमे आपको और भी बेहतर तरीके से समझ में आजायेगा. बवासीर में आप सुबह के समय करीबन 10 बार जरूर करिये, ताकि आपके शरीर के अंदर पेट में जितनी भी खराब वायु हैं वह आसानी से बाहर निकल जाए. इस योग को खुली हवा में ही करे. गैस और कब्ज जो की बवासीर को जन्म देते है उनको यह ख़त्म करता है इसीलिए हम बवासीर के रोगी को यह पवनमुक्तासन करने का कह रहे है.
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Fish Pose (बवासीर में Matsyasana)
- मत्स्यासन एक मछली का पोस्चर हैं. यह पेट के निचले हिस्सों की मांसपेशियों को मजबूत करता हैं, इन मांसपेशियों में गुदाद्वार भी आता हैं. यानी मलद्वार की मांसपेशियां भी इस योग से अच्छी बनी रहती हैं. दूसरा लाभ यह हैं की पवनमुक्तासन की तरह यह भी पेट की ख़राब वायु को बाहर निकालने में मदद करता हैं. जिससे कब्ज, अपचन, एसिडिटी, बवासीर आदि रोग से बचाव व छुटकारा मिलता हैं. इस योग को गर्भवती महिला बिलकुलत भी न करे.
कैसे करे मत्स्यासन

- मत्स्यासन करने के लिए सबसे पहले आप पद्मासना यानी दोनों पैरों को आपस में एक दूसरे के ऊपर रख कर बैठा हैं. (कई योगी इस आसान में बैठते हैं) तो इस तरह बैठने के बाद अपने दोनों हाथो को कमर के पीछे ले जाकर जमीन पर रख दें, अब धीरे-धीरे अपने ऊपरी शरीर को पीछे की ओर झुकाये, अपने सर को जमीन से टिका दें व अब दोनों हाथो को जमीन से हटाकर अपने पैरों के अंगूठों के नजदीक लाकर हाथ से उन अंगूठों को पकड़ लें. व अब अपनी सारी स्वांस को बाहर की ओर निकाल दें. अपनी क्षमता अनुसार इसी स्थिति में बने रहिये. इसी तरह रोजाना बवासीर की छुट्टी करने के लिए यह करते रहे.
बवासीर के लिए अश्विनी मुद्रा
- अश्विनी मुद्रा बवासीर के लिए रामबाण हैं. बवासीर के रोगी को रोजाना अश्विनी मुद्रा का अभ्यास करते रहना चाहिए इससे रोगी के शरीर में दुबारा मस्से होने की संभावना बिलकुल नष्ट हो जाती हैं. वैसे अश्विनी मुद्रा केवल बवासीर के रोगी को ही नहीं बल्कि हर एक व्यक्ति को करना चाहिए. क्योकि इसके कई आध्यात्मिक व भौतिक लाभ माने गए हैं. यह खुनी बवासीर और बादी बवासीर दोनों तरह के बवासीर के मस्से ख़त्म करने में मदद करता है. साथ ही यह सम्भोग करने की क्षमता को भी बढ़ाता है. बवासीर के रोगी को यह बार बार करते रहना चाहिए इससे बवासीर जड़ से नष्ट हो जायेगा.
कैसे करे अश्विनी मुद्रा

- अश्विनी मुद्रा बड़ी ही आसान हैं, अपने मलद्वार को अंदर बाहर की ओर सिकोड़ने की क्रिया को ही अश्विनी मुद्रा कहते हैं. यह मुद्रा आपने भी कई बार जाने अनजाने में की होगी. अभी आप इसे कर के देख सकते हैं. अपने गुदाद्वार यानी जहां से हम मल विसर्जन करते हैं उस हिस्से को अंदर की ओर खींचे, भींच लें. यह कई बार जब हम शौच करते हैं तब मलत्याग हो जाने के बाद स्वभावतः अपने आप भी होने लगती हैं.
- इस अश्विनी मुद्रा के लिए कोई नियम नहीं होता आप इसे दिन व रात किसी भी समय कर सकते हैं. बस जब आपको लगे की शौच आ रहा हैं तब आपको यह मुद्रा नहीं करनी हैं बाकी किसी भी समय इसका अभ्यास किया जा सकता हैं. इसके नियमित अभ्यास से मस्से धीरे-धीरे ख़त्म होने लगते हैं व बवासीर में आश्चर्यजनक लाभ होने लगता हैं.
मूलबंध – By Baba Ramdev Yoga For Piles
- बवासीर में अश्विनी मुद्रा की तरह ही मूलबंध भी लाभकारी हैं, जिस तरह अश्विनी मुद्रा में हम गुदाद्वार की मांसपेशियों को कसते हैं और ढीला छोड़ते हैं ठीक उसी प्रकार मूलबंध में पेशाब की जगह यानी लिंग की मांसपेशियों के साथ करना होता हैं. मूलबंद के भी कई लाभ हैं, अगर आप इसका रोजाना दिन में करीबन 30-40 बार रोजाना अभ्यास करते हैं तो इससे सम्भोग करने की क्षमता बढ़ती हैं, मूत्र सम्बन्धी विकार ख़त्म होते हैं, पेशाब में अगर कोई रोग होगा तो वह भी नष्ट हो जाएगा, बवासीर में भी लाभ होगा आदि. यह मूल बांध भी दोनों तरह के बवासीर में फायदा करता है.
कैसे करे मूलबंध
- मूलबंध भी बहुत आसान हैं, वैसे आप इसे खड़े होकर व बैठकर किसी भी अवस्था में कर सकते हैं. लेकिन बैठकर करने पर यह ज्यादा अच्छे से होता हैं. इसलिए पद्मासना या सिद्धासन में बैठ जाए अपने दोनों हाथो को पैरों के घुटनो पर रख लें. गहरी स्वांस लें व स्वांस को अंदर ही रोक कर रखे अब पेशाब यानी लिंग की मांसपेशियों को ऊपर की ओर खींचे. (जिस प्रकार हमे जोर से पेशाब आने पर हम उसे रोकने के लिए पेशाब की मांसपेशियों को कस लेते हैं ठीक उसी तरह मूलबंध में कसना होती हैं).
- मूलबंध में आप पेशाब की मांपेशियों को तब तक कसकर रखे जब तक वह अपने आप न खुल जाए, शुरू में वह जल्द ही अपने आप ढीली पड़ जाएंगी, लेकिन जैसे ही आपको एहसास हो की मांसपेशियां ढीली पढ़ गई हैं तो तुरंत ही इन्हें वापस कस लें. जितनी देर तक आप मूलबन्ध कर सकेंगे, यानी जितनी देर तक आप लिंग की मांसपेशियों को ऊपर की ओर कस के रख पाएंगे आपको उतना ही दुगना लाभ होगा.
- बड़ा लाभ तो यह हैं की आप मूलबंध के साथ साथ अश्विनी मुद्रा भी कर सकते हैं. दोनों में ही मांसपेशियों को ऊपर की ओर कसना होता हैं. एक में आपको गुदाद्वार और दूसरे में लिंग दोनों को अंदर की और खींचना हैं.
- बवासीर के लिए योग में मूलबांध को आप दिन में कभी भी किसी भी समय कर सकते है.
पाइल्स ट्रीटमेंट योग हैं कपालभाति प्राणायाम
- बवासीर में प्राणायाम करना भी जरुरी हैं, क्योंकि प्राणायाम से आपके शरीर की रुग्णता नष्ट होगी व बवासीर का ट्रीटमेंट होगा. कपालभाति करने से आपको तुरंत ही एहसास होगा की पेट में ठंडाई हो गई हैं व मन प्रफुल्लित हो उठेगा. इस प्राणायाम के नियमित अभ्यास से आपको कब्ज, एसिडिटी, पेट में जलन, सीने में जलन, बवासीर आदि रोग से छुटकारा मिलेगा.
- बवासीर के रोगियों को रोजाना कपालभाति करीबन 15 से 20 मिनट तक करना चाहिए. शुरुआत में आप इसे इतनी देर तक बिलकुल नहीं कर पाएंगे. लेकिन अगर आप रुक-रुक कर कपालभाति करते रहेंगे तो यह हो जायेगा. यानी पहली बार कपालभाति करते हुए थक जाए तो थोड़ी देर शांत बैठ जाए व अश्विनी मुद्रा व मूलबद्धा करने लगे फिर थोड़ी देर बाद वापस कपालभाति करने लगे इस तरह करीबन 20-25 बार कपालभाति का अभ्यास करे. बहुत ही लाभ होगा.
- अगर आप रोजाना इतनी देर तक कपालभाति प्राणायाम करेंगे तो आपको चाहे पुराना बवासीर हो खुनी बवासीर हो या बादी बवासीर हो वह सब सिर्फ प्राणायाम के जरिये ही ठीक हो जायेगा. बस बात यह है की जितना पुराना बवासीर होगा उसे ठीक होने में प्राणायाम के जरिये उतना ही समय लगेगा.
कैसे करे कपालभाति

- जमीन पर सिद्धासन या पद्मासन में बैठ जाए, दोनों हाथो को अपने घुटनो पर रख दें. अब आपको पेट से स्वांस को बाहर निकालना हैं. यानी सिर्फ स्वांस को बाहर निकालने पर ध्यान देना हैं, ध्यान रखे स्वांस गहरी हो व पेट से ही निकल रही हो, यानी उथली स्वांस न लें. स्वांस को बाहर निकालते समय अपने पेट को भी अंदर बाहर करे. इसके प्रयोग से मोटापा भी कम होगा पेट की चर्भी भी ख़त्म होगी. नोट : इस प्राणायम को भी खुली शुद्ध हवा में करे व इसको करते समय पेट साफ़ होना चाहिए. रोजाना बवासीर के लिए योग में यह कपालभाति प्राणायाम जरूर करे.
भस्त्रिका प्राणायाम भी हैं जरुरी
- बवासीर में कपालभाति के बाद नाम आता हैं भस्त्रिका का, भस्त्रिका का अपना एक लाभ हैं. यह पुरे शरीर को शुद्ध ताज़ा हवा से भर देती हैं. इसको अगर आप रोजाना करते हैं तो पूरा दिन अच्छा बीतता हैं. यानी इसको सुबह के समय 5-10 मिनट कर लेने से शरीर में इतनी ताज़ा हवा भर जाती हैं जो की दिन भर आपको प्रसन्न बनाये रखती हैं. इसके साथी ही यह पेट के रोगों जैसे कब्ज, अपचन, आदि को भी नष्ट करता हैं साथ ही बवासीर रोग में भी लाभ करता हैं.
कैसे करे भस्त्रिका
- सीधे खड़े हो जाए अपने शरीर को थोड़ा आगे की ओर झुका लें, अपने दोनों हाथो को पैरों की जांघों पर रखलें. अब तेजी से स्वांस को अंदर लें व बहार छोड़ें. तेज रफ़्तार से गहरी स्वांस लें व गहरी स्वांस छोड़ें. शुरुआत में आप इसको करते हुए जल्द ही तक जायेंगे, लेकिन जैसा हमने कपालभाति के सम्बन्ध में बताया ठीक वैसे ही इसे भी रुक-रुक कर करे. यह शरीर के सभी अंगों में ताज़ा हवा पहुंचाने में मदद करता हैं. नोट : इसे खुली हवा में ही करे व पेट साफ़ होने पर ही इसे करे.
- इसके अलावा बाबा रामदेव ने इस पोस्ट के दूसरे पेज में कुछ खास घरेलु उपाय बताये है आप उसे भी एक बार जरूर पड़ें : NEXT PAGE
तो अब आप रोजाना बवासीर का योग, piles treatment yoga in Hindi जरूर करियेगा यह बवासीर को होने से रोकते हैं. इनको करने से piles का permanent solution हो जायेगा. यह बवासीर के लिए प्राणायाम सर्वोत्तम हैं, इनको रोजाना सुबह के समय जरूर करे व साथ ही पाइल्स पर जितनी भी जानकारी हमने दी हैं आप उन्हें भी पढ़िए.
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